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मुहम्मद इक़बाल एक उच्च कला के कवि, विचारक, राष्ट्रवादी नेता और फिलोसोफर थे, जिन्हें उर्दू साहित्य में एक महान शख्सियत के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिश भारत के सियालकोट शहर में हुआ था। उनके पिता नोर मुहम्मद भी एक शायर और समाजसेवक थे। मुहम्मद इक़बाल के जन्म के समय भारत अंग्रेजों के शासन में था। अल्लामा इक़बाल एक प्रसिद्ध उर्दू कवि, फ़िलोसोफर, और राष्ट्रवादी नेता थे। उनके शिक्षा संबंधी यात्रा में उन्होंने विभिन्न विषयों पर गहरा अध्ययन किया और उनके लेखन का विषय भारतीय संस्कृति, विचारवाद, इस्लाम, राष्ट्रीयता और मानवता रहा। उनकी रचनाएँ आज भी उर्दू साहित्य के शिरोमणि मानी जाती हैं, और उन्हें एक महान राष्ट्रवादी नेता के रूप में सदैव स्मरण किया जाता है।
अल्लमा इक़बाल का जीवन परिचय (Allama Iqbal Biography in Hindi)
नाम | मुहम्मद इक़बाल |
जन्म तिथि | 9 नवंबर 1877 |
जन्म स्थान | सियालकोट, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) |
पिता का नाम | नूर मुहम्मद |
माता का नाम | इम्तियाज़ बेगम |
पत्नी का नाम | करीम बेगम |
शिक्षा | उर्दू और फ़ारसी भाषा में शिक्षा प्राप्त |
ब्रिटिश भारत के लाहौर विश्वविद्यालय से फ़ारसी भाषा में डॉक्टरेट | |
मृत्यु तिथि | 21 अप्रैल 1938 |
मृत्यु स्थान | लाहौर, पाकिस्तान |
प्रसिद्धता | उर्दू कवि, फ़िलोसोफर, और राष्ट्रवादी नेता |
अल्लमा इक़बाल जन्म, परिवार और शिक्षा (Allama Iqbal Birth, Family and Education)
Allama Iqbal का जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिश भारत के सियालकोट में हुआ था जो अभी पाकिस्तान के हिस्से में है। उनके पिता का नाम नोर मुहम्मद था, जो एक शायर और समाजसेवक थे। माता का नाम इम्तियाज़ बेगम था। उनके परिवार में उनके एक भाई और चार बहनें थीं।
उनका विद्यार्थी जीवन भारत के विभिन्न शहरों में बिता। उन्होंने लाहौर, सियालकोट और सिआल्कोट में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने उर्दू और फ़ारसी भाषा में अध्ययन किया और ब्रिटिश भारत के लाहौर विश्वविद्यालय से फ़ारसी भाषा में डॉक्टरेट प्राप्त किया। उनके शिक्षा संबंधी यात्रा में उन्होंने फ़ारसी के कई प्रमुख शास्त्रीय काव्य संग्रहों को अध्ययन किया, जिससे उन्हें फ़ारसी शायरी में विशेष रुचि पैदा हुई।
इक़बाल का शिक्षा और संस्कृति के प्रति गहरा अध्ययन उनके भारतीय विचारधारा और इस्लामिक दर्शनिकता पर असर डाला। उनकी साहित्यिक रचनाओं में इस्लाम, विचारवाद, राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति पर गहरा अध्ययन होने के कारण उन्हें एक प्रतिष्ठित विचारक और शायर के रूप में माना जाता है।
अल्लमा इक़बाल साहित्यिक करियर
मुहम्मद इक़बाल का साहित्यिक करियर उर्दू भाषा के कवि और लेखक के रूप में शुरू हुआ। उनकी पहली कविता “बाल-ए-जिब्रील” उर्दू कविता संग्रह में प्रकाशित हुई, जिसके माध्यम से उन्होंने इस्लामिक दार्शनिकता को सराहा। उनकी कविताएँ भारतीय संस्कृति, विचारवाद, राष्ट्रीयता और इस्लामी विचारधारा पर आधारित थीं।
अल्लमा इक़बाल राष्ट्रवादी नेता
मुहम्मद इक़बाल को एक प्रभावशाली राष्ट्रवादी नेता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय मुस्लिमों को एकजुट होकर अपनी पहचान के लिए लड़ने की अपील की और उन्हें स्वतंत्र भारत के गढ़ बनाने का सपना देखा। उन्होंने “तारना-ए-मिल्लत” के माध्यम से भारत के मुस्लिम युवाओं को संबोधित किया और उन्हें राष्ट्रीय संगठन बनाने की प्रेरणा दी।
“सारे जहाँ से अच्छा”:
“सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलसितां हमारा।”
इक़बाल की मशहूर कविता “सारे जहाँ से अच्छा” उनके राष्ट्रीय भावनाओं को व्यक्त करती है और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय गान के रूप में बहुत प्रसिद्ध करती है। इस गान के माध्यम से इक़बाल ने भारतीय राष्ट्रीयता को समर्थन और प्रोत्साहन दिया।
अल्लमा इक़बाल मृत्यु
मुहम्मद इक़बाल की मृत्यु 21 अप्रैल 1938 को लाहौर, पाकिस्तान में हुई। उनके निधन से उर्दू साहित्य और राष्ट्रीयता की विशेष कमी महसूस हुई। उनके रचनाएँ आज भी उर्दू और फ़ारसी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, और उन्हें एक राष्ट्रीय विचारक और शायर के रूप में सदैव स्मरण किया जाता है।
अल्लमा इक़बाल की पत्नी (Allama Iqbal wife)
अल्लामा इक़बाल की पत्नी का नाम “करीम बेगम” था। उन्होंने अल्लामा इक़बाल से कई साल पहले, 1895 में शादी की थी। करीम बेगम एक अध्यापिका थी और उनका साथ उनके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें समर्थन और प्रेरणा देने में महत्वपूर्ण रहा। उनकी शादी से पहले, उनके बचपन के दोस्त, नाम्दार खान की बहन इक़बाल से विवाह करने की योजना बनाई थी, लेकिन उसका कार्यान्वयन नहीं हुआ और बाद में उन्होंने करीम बेगम से विवाह कर लिया। उनके साथ विवाह के बाद, उन्होंने तीन बच्चों को जन्म दिया। उनके पुत्र मोहम्मद जवेद इक़बाल, जिन्हें अल्लामा इक़बाल की रचनाओं को प्रचारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, एक प्रसिद्ध वकील और राजनीतिक नेता थे।
मुहम्मद इक़बाल की कविताएं Allama Iqbal Biography in Hindi
उनकी कविताएं विभिन्न विषयों पर आधारित हैं, जैसे राष्ट्रीय भावना, इस्लाम, विचारवाद, प्रेरणा, और समाजिक मुद्दे। नीचे कुछ प्रसिद्ध कविताओं का उल्लेख किया गया है
- सारे जहाँ से अच्छा (Tarana-e-Milli): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता है और भारतीय राष्ट्रीय गान के रूप में जानी जाती है। इस कविता में उन्होंने भारत की एकता और विविधता को सराहा है और राष्ट्रीय भावनाओं को व्यक्त किया है।
- अलामत-ए-इक़़बाल: यह एक दर्द भरी गज़ल है, जिसमें उन्होंने अपने भविष्य की कठिनाइयों के सामने अपनी कमजोरियों को व्यक्त किया है।
- शिकवा: यह कविता उनकी मशहूर कविताओं में से एक है, जिसमें वे अल्लाह से अपने संबंधों के बारे में शिकायत करते हैं।
- जवाब-ए-शिकवा: यह कविता उनके शिकवा कविता का जवाब है, जिसमें वे अल्लाह के संबंध में अपने विश्वास को प्रकट करते हैं।
- बाल-ए-जिब्रील: यह उनकी प्रसिद्ध कविता संग्रह है, जिसमें उन्होंने इस्लामी दर्शनिकता, विचारवाद, और राष्ट्रीय भावनाओं को प्रकट किया है।
- हमदर्द: इस कविता में उन्होंने मानवता के सभी लोगों के प्रति अपनी हमदर्दी को व्यक्त किया है।
- ताबान: यह कविता उनके भविष्य में भारत के लिए एक बेहद प्रेरणादायक संदेश प्रदान करती है।
ये कुछ मात्र हैं, अल्लमा इक़बाल की कविताओं की सूची बहुत लम्बी है, और उनके साहित्यिक योगदान की विशालता को समझने के लिए उनके सम्पूर्ण रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक है।
मुहम्मद इक़बाल की किताबें Allama Iqbal Biography in Hindi
मुहम्मद इक़बाल ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं, जो साहित्य, फ़िलोसोफी, और राष्ट्रीयता के विभिन्न पहलुओं पर आधारित थीं। नीचे कुछ मुहम्मद इक़बाल की प्रसिद्ध किताबों का उल्लेख किया गया है:
- बाल-ए-जिब्रील(Bang-e-Dra): यह एक महत्वपूर्ण कविता संग्रह है, जिसमें उन्होंने इस्लाम, विचारवाद, और राष्ट्रीय भावनाओं को प्रकट किया है। इसमें उनकी कई प्रसिद्ध कविताएँ शामिल हैं जैसे कि “सारे जहाँ से अच्छा”।
- बाल-ए-जिब्रील(Bang-e-Dra): यह एक अन्य महत्वपूर्ण कविता संग्रह है जो उन्होंने उर्दू और फ़ारसी भाषा में लिखा था। इसमें भारतीय संस्कृति, विचारवाद, और राष्ट्रीयता पर उनके दर्शन और संदेश हैं।
- अस्रार-ए-ख़ुदी(Asrar-e-Khudi): इस पुस्तक में उन्होंने जीवन के मूल्यों, व्यक्तित्व के विकास, और आत्मनिर्भरता के महत्व के विषय में विचार किए हैं।
- रुमूज़-ए-बेख़ुदी(Rumuz-e-Bekhudi): यह भारतीय राष्ट्रीयता, राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता, और मानवता के विभिन्न पहलुओं पर उनके विचार और संदेश हैं।
- बाल-ए-जिब्रील(Bang-e-Dra): यह एक और महत्वपूर्ण कविता संग्रह है, जिसमें उन्होंने विश्व की समस्याओं, मानवता की उन्नति, और आत्मविश्वास के महत्व के विषय में रचनाएं की हैं।
- जवाब-ए-शिकवा(Jawab-e-Shikwa): इस किताब में उन्होंने अल्लाह से अपने संबंधों के बारे में शिकायत की है और जवाब में उन्होंने अपने विश्वास को प्रकट किया है।
यह सिर्फ़ कुछ किताबें हैं, मुहम्मद इक़बाल की साहित्यिक योगदान की विशालता को समझने के लिए, उनके सम्पूर्ण रचनाओं का अध्ययन करना अवश्यक है।
अल्लमा इक़बाल के महत्वपूर्ण तथ्य (Allama Iqbal Facts)
नीचे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं
- जन्म और प्रारंभिक शिक्षा: अल्लमा इक़बाल का जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिश भारत के सियालकोट में हुआ था जो अब पाकिस्तान के हिस्से में है । उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सियालकोट और लाहौर में पूरी की।
- विद्यार्थी जीवन: इकबाल ने उर्दू और फ़ारसी भाषा में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने भारत के लाहौर विश्वविद्यालय से फ़ारसी भाषा में डॉक्टरेट प्राप्त किया। उनके शिक्षा संबंधी यात्रा में उन्होंने फ़ारसी के कई प्रमुख शास्त्रीय काव्य संग्रहों को अध्ययन किया, जिससे उन्हें फ़ारसी शायरी में विशेष रुचि पैदा हुई।
- विचारवादी नेता: अल्लमा इक़बाल विचारवादी नेता थे और उनकी विचारधारा को “इक़बालियत” कहा जाता है। उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने की अपील की और उन्हें स्वतंत्र भारत के गढ़ बनाने का सपना देखा।
- राष्ट्रीय गान “सारे जहाँ से अच्छा”: उनकी मशहूर कविता “सारे जहाँ से अच्छा” उनके राष्ट्रीय भावनाओं को व्यक्त करती है और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय गान के रूप में बहुत प्रसिद्ध करती है।
- फ़िलोसोफर और रचनाकार: उनके रचनाकारीका क्षेत्र व्यापक था, और उन्होंने विभिन्न विषयों पर कई गाज़ल, नज्म, नात, और मर्सिया रचे। उनके दर्शनिक लेख, पत्र, और निबंध भी उनके साहित्यिक विरासत में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
- प्रसिद्ध कवि: उन्होंने उर्दू साहित्य में कई प्रसिद्ध कविताएँ रची, जो आज भी उर्दू कविता संसार में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
- सम्मान: अल्लमा इक़बाल को “इकबाल-ए-मशरिक” (पूर्व का इकबाल) के रूप में सम्मानित किया गया था। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के साथ “शाहीद-ए-आज़म” (महान शहीद) के तौर पर भी सम्मानित किया गया है।
- मृत्यु: अल्लमा इक़बाल की मृत्यु 21 अप्रैल 1938 को लाहौर, पाकिस्तान में हुई। उनके निधन से उर्दू साहित्य और राष्ट्रीयता की विशेष कमी महसूस हुई। उनके रचनाएँ आज भी उर्दू साहित्य के शिरोमणि मानी जाती हैं, और उन्हें एक महान राष्ट्रवादी नेता के रूप में सदैव स्मरण किया जाता है।
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